मोहन सूर्यवंशी
बाबा रामदेव की पुत्रजीवक औषधि पर हंगामा मच गया है। हमारे देश के विपक्षी दल के नेता कोई रचनात्मक काम तो करते नहीं किंतु सरकार के विरोेध का कोई मौका वह हाथ से नहीं छोड़ते। हर बात पर विरोध करने की आदत ही उन्हें समेटकर इतनी कम सीटों की संख्या पर ले आई है। जब सरकार पर सीधे प्रहार नहीं कर पाते तो सरकार के आस—पास के लोग जो कि उनके निकट है, उन पर ही प्रहार करने लगते हैं। हाफिज और वैदिक की मुलाकात जैसे मामूली बात पर भी तीन दिन तक संसद ठप कर दी थी। अब हाल ही का मामला बाबा रामदेव की 'पुत्रजीवक बीज' औषधि का है। राज्यसभा में जेडी (यू) महासचिव केसी त्यागी ने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी 'पुत्रजीवक बीज' के नाम से बेटा पैदा करने की दवा बेचती है और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हालांकि बाबा रामदेव की इस मामले पर तुरंत सफाई भी आ गई। फेसबुक पर उन्होंने बताया कि इस दवाई में पुत्रजीवक औषधि प्रयोग की है। जिसका उपयोग नि:संतान लोग बच्चे पैदा करने के लिए कर सकते हैं। इसका पुत्र से कोई लेना देना नहीं है, इसलिए दवाई का नाम शास्त्र के अनुसार 'पुत्रजीवक' रखा गया है।
बाबा रामदेव की यह बात सत्य है लेकिन क्या वह यह नहीं जानते कि हमारे देश में कितने अल्पज्ञानी लोग है। जिस देश में इतने अंधभक्त लोग है कि आसाराम के लड़के को वह कृष्ण का अवतार मानते हो, जो लड़के पैदा करने के लिए लड़कियों को गर्भ में ही मार देते हो। जो लड़का पैदा होने पर खुशी मनाते हो और लड़की के पैदा होने पर गम में डूब जाते हो, वहां पर लोग इस दवाई के नाम से भ्रमित क्यों नहीं होंगे। मोबाइल कंपनी से लेकर देश की नामी गिरामी कंपनियां अपने विज्ञापन में इस तरह लोगों को मूर्ख बना रही है। शब्दों का ऐसा मायाजाल बनाती है कि 10 में से 9 लोग उसमें फंस जाते हैं। कोई बाद में मुकदमा न ठोक सकें इसलिए या तो स्टार का चिन्ह बना देते हैं या कंडीशन अप्लाई कर देते हैं। आज भी गांवों ही नहीं शहरों में भी लोग बीमार होने पर झाड़—फूंक कराने पर ज्यादा विश्वास करते हैं। अभी हाल ही में बाबा रामदेव ने पाकिस्तान से भेजी ग्ई सामग्री में बीफ के मसाले को दिखाकर, पाकिस्तान की आलोचना की थी। लेकिन क्या वह नहीं जानते कि बीफ के मसाले में बीफ नहीं होता सिर्फ शाकाहारी मसाला होता है, जिसे चाहे तो आप सब्जियों में भी डाल सकते हैं। जब बाबा खुद दिग्भ्रमित हो जाते हैं तो 'पुत्रजीवक' औषधि के नाम से जनता क्यों नहीं हो सकती? व्यापारिक उद्देश्य के लिहाज से दवा का यह नाम एक दम उपयुक्त है। इस नाम से यह दवाई खूब जोर—शोर से बिकेगी। गांव—गांव में जो बाबा की दुकान खुली हुई है वहां उनका सामान बेचने वाले लोग, ग्राहकों को यही बताएंगे कि इस खाओ और पुत्र पैदा करो। लेकिन बाबा जैसे सामाजिक लोगों को इस तरह के नामों में सावधानी बरतनी चाहिए। इस दवाई का नाम जितने जल्दी हो सके बदल दिया जाना चाहिए।