संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 30 करोड़ लोग अब भी अत्यंत गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं दूसरी तरफ खबर है कि हमारा देश ब्रिटेन और रुस को टक्कर दे रहा है। यह टक्कर वह अरबपतियों की सूची में दे रहा है। अर्थात भारत में 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति रखने वालों की लोगों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। अगर इन सारे भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति जोड़ दी जाए तो वह 15 लाख 96 हजार करोड़ रुपए होती है।
कितना हास्यास्पद है कि जिस देश में 40—50 करोड़ 20 रुपए भी रोज नहीं कमा पाते वहां पर एक आदमी के पास ही 6000 कऱोड़ रुपए की संपत्ति है। उसके बाद भी अंबानी, टाटा, बिड़ला, मित्तल सभी लोगों को घाटा ही हो रहा है। क्योंकि यह लोग भी निरंतर अपने उत्पादों के दाम बढ़ाते रहते हैं। इस असमानता की वजह से ही हमारे देश में राजनीतिक भूचाल भी आया हुआ है। कांग्रेस का पूरे देश से सफाया होने की सबसे बड़ी वजह यही है। कांग्रेस की सरकार के समय भी आम जनता गरीबी, मंहगाई, रिश्वतेखारी, अव्यवस्था से त्रस्त थी। इन सबसे त्रस्त होकर ही उसने भाजपा को वोट दिए। भाजपा ने भी लोकसभा चुनाव में जनता को खूब सपने दिखाए लेकिन वह सपने आखिरकार सपने ही साबित हो रहे हैं। मोदी सरकार को बने 9 महीने हो गए हैं लेकिन आम जनता के हाथ अभी तक कुछ नहीं लगा। सिर्फ उन पर इतनी ही मेहरबानी हुई है कि जिन गरीब लोगों को बैंक वाले भगा देते थे अब वह उनका एकाउंट खोल दे रहे हैं। शायद मोदीजी को लगा हो कि हमारे देश के गरीबों के पास इतना पैसा है कि उनकी सबसे बड़ी प्राब्लम इन्हें रखना ही है?
अब जबकि दिल्ली के चुनाव होने वाले है। सारी राजनीतिक पार्टियां उन्हें फिर से सपने दिखाने में लग गई है। कांग्रेस की जब दिल्ली में सरकार थी तो उसकी मुख्यमंत्री ने दिल्ली को पेरिस बनाने के चक्कर में आम आदमी का जीना हराम कर दिया । अब सरकार नहीं है तो दिल्ली की आम जनता की समस्या उन्हें समझ आ रही है। तभी वह बिजली से लेकर हर चीज के दाम अनाप—शनाप कम करने के चुनावी विज्ञापन दे रहे हैं जो कि एक मजाक ही लगता है। भाजपा वाले भी दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बैचेन हैं लेकिन केंद्र की सरकार बनने के बाद 9 महीने में क्या किया तो उसका उत्तर वह जनता को नहीं दे पा रहे। इसलिए सबसे फायदे में 'आप' वाले चल रहे हैं। क्योंकि अभी तक जनता ने इनको परखा नहीं है। शायद यह लोग भी आगे चलकर अपने राजनीतिक भाईयों की तरह ही हरकते करने लग जाए और अंत में उनकी ही गति को प्राप्त हो।
लेकिन अंत में यही कहना चाहूंगा कि सारे राजनीतिक दल चुनाव से पहले आम जनता को बेवकूफ बनाते हैं। पहले तो वह वादा करते हैं कि जनता की आम समस्याओं को दूर करेंगे। लेकिन सरकार बनने के बाद बताते हैं कि सारी समस्याओं को हल आम जनता की नाक में दम करना ही। जब तक आम जनता की रोटी, बिजली, पानी मंहगा नहीं होगा, देश का विकास नहीं हो सकता। सभी राजनीतिक दल इस सिद्धांत पर चलते हैं तभी तो हमारे देश के अरबपति फल—फूल रहे हैं अमीर और अमीर होेते जा रहा है और गरीब की हलात पतली। आज इस स्थिति में है कि वह रुस और ब्रिटेन तक को टक्कर दे रहे हैं जबकि गरीब सरकार बदल—बदल कर परेशान है कि कोई तो उसका भला करे।
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